चेहरा है मुरझाया सा
मन है उत्साह रहित ,
झुलसी आशायें और सपने
आंखें उदासी भरी ,
जब भी देखूं
मन भर आता पर ,
दूर से दिखने वाले
चेहरे की मन की बातें ,
ना जान सकी अब तक !!
जब भी देखा दूर से ही
समझने की कोशिश नहीं ,
आज समझ आया मन
इक भूल भुलैया ,
और इक धोखा भी
जो हम चाहें वही
दिखाने वाला एक आईना !
आज समझ आया मन
इक भूल भुलैया ,
और इक धोखा भी
जो हम चाहें वही
दिखाने वाला एक आईना !
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