Wednesday, March 9, 2016

भूल भुलैया

चेहरा है मुरझाया सा
मन है उत्साह रहित ,
झुलसी आशायें और सपने 
आंखें उदासी भरी ,
जब भी देखूं 
मन भर आता पर ,
दूर से दिखने वाले 
चेहरे की मन की बातें ,
ना जान सकी अब तक !!
जब भी देखा दूर से ही 
समझने की कोशिश नहीं ,
आज समझ आया मन
इक भूल भुलैया ,
और इक धोखा भी
जो हम चाहें वही
दिखाने वाला एक आईना !


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