Wednesday, May 11, 2016

निश्छल प्यार

आंखों से बहते निश्छल आंसू
सूख चले हैं
अपनेपन का अर्थ जाना
दिखे सब अचानक बदले !

कैसे और क्यों सब बदले
ना जाने मेरा निश्छल मन
वो तो पहचाने सिर्फ प्यार
प्यार तो शायद नहीं बिकता !

फिर क्यों इतनी पाबंदी ?
क्यों है इतना मुश्किल ?
हर किसी को है जरूरत
लेकिन कोई नहीं देता प्यार !

बेशकीमती चीजें खरीदें
पर प्यार कहां खरीदें ?
प्यार गुम गया कहीं
अनजान जगह में घूमें हम
ढूंढते ओस की बूंद जैसे !!

जब हुए अलग परिवार
खो गया निश्छल प्यार
चेहरा देख प्यार जताते
चेहरों से थोड़ी सी
झूठी नकाब हटाते !

अपने और पराये का
सारांश छोटों को समझाते
कैसे जानेंगे ये बच्चे
निश्छल प्यार की परिभाषा ??

कल यदि हम सिखाएं
सबसे प्यार करो तो ये
पूछें हमें , ये प्यार क्या है ?
किससे हम करें प्यार ?

न आने दें ये दिन
संभलकर सिखाएं जीना
इन्हें तो सिर्फ सच्चे प्यार
की खरी पहचान है !
ऐसे ही निस्वार्थ जीने दें !!



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