याद आ रहा मुझे गुजरा ज़माना
बचपन के खेल ,धूप और छांव
खेतों की कतारें, चहचहाते पंछी
ढलती धूप और सुनहरा सूरज
उठता चांद और दूधिया चांदनी
सब से घिरे हम
बचपन और साथी
खिलखिलाते फिरते
न कोई गम न कोई गिला
न जाने कहां खो गया
वो मासूम बचपन
छोड़ आये दूर बहुत ही दूर
गांवों में बिखरी खुशियां
थकना और सो जाना
निश्छल मन
मासूमियत भरे दिल
चिंता से परे
मन में सिर्फ प्यार
ना ही उम्मीद न ही गिले
जिंदगी में ऊंचा उठना चाहा
दर्द बढ़ गए और दवा नहीं
अपने भी बेगाने बन गए
ऊपर उठने की चाहत
हमें कहां ले आयी
ना हम खुश हैं और
ना ही उदास
मन में है सिर्फ
अपनेपन की आस
बचपन के खेल ,धूप और छांव
खेतों की कतारें, चहचहाते पंछी
ढलती धूप और सुनहरा सूरज
उठता चांद और दूधिया चांदनी
सब से घिरे हम
बचपन और साथी
खिलखिलाते फिरते
न कोई गम न कोई गिला
न जाने कहां खो गया
वो मासूम बचपन
छोड़ आये दूर बहुत ही दूर
गांवों में बिखरी खुशियां
थकना और सो जाना
निश्छल मन
मासूमियत भरे दिल
चिंता से परे
मन में सिर्फ प्यार
ना ही उम्मीद न ही गिले
जिंदगी में ऊंचा उठना चाहा
दर्द बढ़ गए और दवा नहीं
अपने भी बेगाने बन गए
ऊपर उठने की चाहत
हमें कहां ले आयी
ना हम खुश हैं और
ना ही उदास
मन में है सिर्फ
अपनेपन की आस
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