Friday, September 18, 2015

जब भी ये मन

जब भी ये मन पलटता है पन्ने
कुछ न कुछ ढूंढता है
यादों की दुनिया में ,
उदासी की चादर ओढ़े रिश्ते
एक दूसरे से नैन चुराते
अपनी दुनिया में मशगूल !
मुश्किलें जब पास आतीं
खुद ब खुद ढूंढते
रिश्तों की नजदीकियों को
दिल को थोड़ा सुकून देने !
हम चाहे जितना ही
आगे निकलें जिंदगी में
लेकिन रिश्तों से कटना है
जीते जी मरने जैसा !




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