Sunday, September 20, 2015

झूठ और सच


रिश्तों को झूठ और सच का
फर्क नहीं मालूम
लेकिन आंखें जानतीं हैं
दिल और जुबां के भेद !
सच्चे रंग और झूठी हंसी
रही सही कसर छूकर
जान लें वरना ,
आंखों के बिना कैसे
रिश्तों की गहराई  
जान लेतें हैं  
सिर्फ चंद लम्हों में  !      

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