नकली बन चली दुनिया में मशगूल
जब कभी पलट कर देखे तो
सिर्फ रेगिस्तान सा नज़र आया !
मंजर भी नहीं बदला और नज़ारे
हमें बदलता देख जैसे भूल गए
इस समय और उस समय में
यही तो है न अंतर !!
नींद उड़ा दी गोली ने ,
आंसू भर दी आंखों में
सिर्फ चिंता है जहन में ,
लेकिन ये सपूत हैं
जूझते दिन रात !
हमारे ख़याल में
खुद नींद न सो
सुलाते हैं हमें चैन से !
धन्य हैं ये पुत्र जो
जीते ही हैं हमारे लिए
शत शत नमन इन
वीरों को !!
मन ढूंढता है सुकून ,
पहले थी चिंता अपनों की ,
अब न रही फ़िक्र कोई ,
मन सिर्फ चाहता
बच्चों का संग !
हंसते खेलते नन्हे
फ़रिश्ते हैं जिनकी
पहुंच में सारी दुनिया !
बैठे रहे अकेले
दिल को तसल्ली देते
जैसे ही आ मिले
इन फरिश्तों ने
भर दी खुशी से
मेरी दुनिया !
मुझे जरूरत है
सिर्फ इन चंद
अजीज लम्हों की अब !!
अबोध मन ,
ढूंढता चिर परिचित ,
मां की धड़कन और स्पर्श ,
लेकिन वो कही नहीं फिर ,
ढूंढने का नाकाम प्रयास ,
बदला चिल्लाहट में और
चंद लम्हों में लौट आयी ,
मां की धड़कन पास !
जाना मासूम मन ने
चिल्लाहट में कितनी है
ताकत !!
अब जब भी जो चाहा
न मिला तो जान लिया
कैसे मिलेगा तुरंत बिना
किये कोई भी सवाल ,
बस थोड़ी सी चिल्लाहट
और सभी असहाय से
बुलायें मां को !!