बच्चों का संग
मन ढूंढता है सुकून ,
पहले थी चिंता अपनों की ,
अब न रही फ़िक्र कोई ,
मन सिर्फ चाहता
बच्चों का संग !
हंसते खेलते नन्हे
फ़रिश्ते हैं जिनकी
पहुंच में सारी दुनिया !
बैठे रहे अकेले
दिल को तसल्ली देते
जैसे ही आ मिले
इन फरिश्तों ने
भर दी खुशी से
मेरी दुनिया !
मुझे जरूरत है
सिर्फ इन चंद
अजीज लम्हों की अब !!

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