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Saturday, November 28, 2015
प्रगति
बदलते रिश्तों को देख आंखे भरने से
कुछ बदलता तो नहीं ,
यह है सहज ,
तो क्या हम ही भूल चुके
बदलाव को सहजता से
स्वीकार कर साथ चलना ,
हर चीज में बदलाव आना तो है
प्रगति की एक झलक !
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