मन में हाहाकार मचा
शोख थी अब हो गयी
गंभीर सब समझती
अनजाने अल्हड़ता
दफना चुकी संजीदगी में !!
क्या किसी को थी खबर ?
एक मुखौटे में छिपा गयी
कितने ही अनजाने सच !!
ये सच भी तो बदलते हैं
रिश्तों के तहत !!
मेरे सच झूठ हो जातेअक्सर ,
झूठ तो सरेआम सच हो गए !!
थी ये गुस्ताखी मेरी पर ,
मजबूर सी हो चली थी अब
ना था होश ना किसी का डर !!
सच से क्यों और कैसा डर ?
ना चाहूं और मुखौटे मैं !!
दम घुटने लगा है इस खेल में
सच झूठ और झूठ सच बने ,
कैसे , क्यों मैं गयी बदल ?
मां से रिश्ते थे कमजोर
मैं ही थी कमजोर ?
मन की उथल -पुथल
किये थी परेशान !
कैसे बताऊं मेरी उलझन ?
कौन है मेरा अपना ?
सब थे मेरे अपने लेकिन
मुखौटे से परे सब बेगाने से !
हमें जुड़े रहने का
नाजुक सा रिश्ता तो
तोड़ गई एक सांस
फिर क्यों
इतनी परेशानी ?
मन को झकझोर मैं
चल निकली अलग दिशा में !
जहाँ कोई नकली चेहरा
ना मुझे मजबूर करे
हंसने और रुलाने पर !!
ख़त्म हो चुकी मेरी सरहदें !!
शोख थी अब हो गयी
गंभीर सब समझती
अनजाने अल्हड़ता
दफना चुकी संजीदगी में !!
क्या किसी को थी खबर ?
एक मुखौटे में छिपा गयी
कितने ही अनजाने सच !!
ये सच भी तो बदलते हैं
रिश्तों के तहत !!
मेरे सच झूठ हो जातेअक्सर ,
झूठ तो सरेआम सच हो गए !!
थी ये गुस्ताखी मेरी पर ,
मजबूर सी हो चली थी अब
ना था होश ना किसी का डर !!
सच से क्यों और कैसा डर ?
ना चाहूं और मुखौटे मैं !!
दम घुटने लगा है इस खेल में
सच झूठ और झूठ सच बने ,
कैसे , क्यों मैं गयी बदल ?
मां से रिश्ते थे कमजोर
मैं ही थी कमजोर ?
मन की उथल -पुथल
किये थी परेशान !
कैसे बताऊं मेरी उलझन ?
कौन है मेरा अपना ?
सब थे मेरे अपने लेकिन
मुखौटे से परे सब बेगाने से !
हमें जुड़े रहने का
नाजुक सा रिश्ता तो
तोड़ गई एक सांस
फिर क्यों
इतनी परेशानी ?
मन को झकझोर मैं
चल निकली अलग दिशा में !
जहाँ कोई नकली चेहरा
ना मुझे मजबूर करे
हंसने और रुलाने पर !!
ख़त्म हो चुकी मेरी सरहदें !!
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