Saturday, April 2, 2016

मां की गोद

तलाशते थक गए पांव
हो कहां चली आओ न मां
ना अब तरसाओ इस तरह
ढूंढ़ता दर ब दर !

मैंने सुना तुम हो सर्वत्र
फिर क्यों न आ जाती
पास मेरी मां ?
क्या मेरी खता है बता ?

मैं हूं तेरी धड़कन
तेरी सांस , तेरा प्यार
फिर क्यों है ऐसी
तड़पाए मुझे मां ?

जो ना आईं तो मैं
चली आउंगी पास तेरे
जब मेरी आंखें खुलें 
तुम होगी न मेरे पास ?

मां की गोद में
गुजरी रात, मां थी पास
सर पर फेरा हाथ
मैंने होश संभाला
सूरज चुभने सा लगा !

आंखें खुलीं,दिल हल्का
मां का प्यार था साथ
खुशी से आंखों में चमक
मां तू पास मेरे आ जा ना !!

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