Saturday, October 24, 2015

जीने के संघर्ष में

बड़े दिनों के बाद खुद को पहचाना
अजीब लेकिन सच
जिंदगी की भागमभाग में
भूल चली खुद को ,
आज जब आइना देखा
स्तब्ध रह गयी  !
कहां खो चुकी मैं अपने सपने ?
बचपन में सोचा थोड़े दिन ,
जब हुए बड़े तो थोड़े दिन और ,
मिली नौकरी , आईं जिम्मेदारी
कुछ दिन और सब्र कर लें ,
फिर शादी , बच्चे और परिवार ,
न जाने कैसे सालों बाद
याद आये मेरे भी सपने थे !
पढ़ना , नौकरी , परिवार
यही था मेरा संसार।
है कोई पहचान मेरी ?
जीने के संघर्ष में
मैं भूल ही गई
मेरी अपनी भी पहचान है !
आज जब उठा सवाल
घर के अलावा तुम्हे
है कुछ पता ?
तब ख्याल आया
मैंने भी देखे थे
सुनहरे सपने !!


Friday, October 23, 2015

नारी के रूप


एक नारी के कितने रूप ?
बेटी , बहन , दोस्त , प्रेमिका ,
पत्नी , बहू , मां , भाभी , ननद ,
मामी , चाची , बुआ , मौसी !
हर रिश्ते में एक नयी झलक !
प्यार , कर्तव्य , समझ और
सामंजस्य का ही तो
नाम है नारी !
टूटते हुए इंसान का
नया विश्वास ,
बिगड़ते रिश्तों को
संवारती देती जान ,
आसानी से बदलती
सब कुछ मानो जादू  ,
हंसती खेलती सबकी जान
प्यार की डोर से बांधे ,
न हो घर लगे सुनसान !
हवा की तरह हल्की
पानी की तरह जरूरी ,
सांसों की तरह ,
फूलों की ताजगी से भरी
तेरी तारीफ़ के लिए
शब्द ही नहीं पास ,
सारांश यही कि नारी
ही परिवार की शान !!









अपनेपन का एहसास

अक्सर ही तेरी आंखों में मैंने
सपनो की झलक देखी 
मेरे दर्द , सुख , दुःख 
सबका साझा लेती 
मौन उपस्थिति मुझे 
प्रेरणा और तृप्ति देती। 
मेरे साथ होने का 
एहसास ही मेरी 
अभिव्यक्ति को जैसे 
जीवन और सांस देती। 
अपने जो हैं पराये 
पराये जो हैं अपने 
दोनों ही मुझे लगते 
बिलकुल अपने ! 
हम ही तो ढूंढते हैं 
अंधेरे में उजाले और 
उजाले में भी अंधेरे 
मन की लुकाछिपी 
कौन समझ पाया ! 
शत शत नमन उन सबको 
जिन्होंने मुझे अपना 
होने का एहसास तो दिलाया !






Thursday, October 22, 2015

विश्वास जगाने

ऐ जिंदगी मैं ढूंढता हो हताश तुझे
क्या है नहीं मेरी परवाह तुझे ?
तूने ही तो बख्शी ये जिंदगी मुझे
क्यों ये तड़प और बेरुखी दी मुझे ?
तरसता दिन रात चैन से जीने
क्या मेरी खता है जीना ?
तेरी उम्मीदों को मैंने समझा
क्यों तू न समझती मुझे बता ?
खुद के लिए नहीं मैं जीता ,
किसीके सूखे ओठों पर हंसी लाने ,
दो समय उनको खिलाने ,
कुछ पढा लिखाकर इंसान बनाने ,
जिंदगी के उनको भी अर्थ समझाने ,
शमशान सी जिंदगी मे बहार लाने ,
अपने जैसी उनको भी पहचान दिलाने ,
खाली सी जिंदगी में कई पड़ाव लाने ,
अपमान भरे जीवन में इज्जत लाने ,
अपने जीवन में मुस्कान लाने ,
औरों के दुःख भुलाने की औकात लाने ,
बंजर हुयी जिंदगी में खुशियां लाने ,
उनको भी हक़ है जीने का
ये विश्वास मृत मन में जगाने ,
बख्श मुझे और कुछ दिन
खुद को एक इंसान होने का
मतलब समझाने
ये सब कर दिखाने !!


My Dreams

We one in hardships
As comes breeze but erase mind
It's a way of testing our trueself ,
If conquer meet the best
Not then worry for us ,
Seen ignoring eyes, hollow laugh
Twisting smiles and contempt ,
Am waiting still wondering
What am and why such times !
Know his ways differ and
Relax in the dark covering
Why do I live and long for ?
A day comes when I see
My world full of smiles only
On the dry lips of destitute
Shining bright life filled eyes !
Me mothering the
Gifted ones of fate!
Changing their smiles
Try to find solace
From within where lies
Ruins of my dark gone days
Waiting with still open eyes!!

Wednesday, October 21, 2015

मंदिर और मस्जिद

 बड़े दिनों के बाद आज मन फिर निकल पड़ा
अनजानी राहों पर जाने पहचाने लोग
आंखें चुराते डर से कहीं हमसे न आ मिलें
परेशानियों से घिरा नयी जगह
मैं फिरता मारा यहां वहां
कोई तो होगा मददगार
इतनी बड़ी दुनिया में मेरे लिए
कोई न कोई , कहीं न कहीं
जरूर थामेगा मेरे हाथ
दिन , महीने बने और मैं
नाकामियत के अंधेरे में
गुमनाम होने का डर  ,
एक दिन अचानक मिले
एक सज्जन ने
थाम मेरे हाथ कहा
देखें हैं मैंने मुश्किल के दिन,
न पलटकर देखना कभी,
जब दिखे कोई मजबूर
जरूर पलटकर देखना ,
मंदिर और मस्जिद में
नहीं है भगवान ,
मिलोगे अक्सर ही जीते जागते
इंसानो से , उनमे ही है भगवान .
आज भी मन करता है स्मरण उनका


Tuesday, October 20, 2015

आधुनिक मां

तेजी से सीढ़ियां चढ़ते कदम
सिर से पांव तक आधुनिक ,
आंखों पर धूप का चश्मा
जींस पैंट और शर्ट
मैं दंग रह गयी ,
पीठ पर एक बेल्ट से
बंधे मजबूत बैग में
विराजमान छोटे से कन्हैया
अम्मा को बांधे छोटे से
हाथों की मजबूत पकड़ ,
आंखें घुमाकर नजारा
देखते मजा ले रहे ,
दोनों हाथों में वजन
आधुनिक मां का स्वरुप,
मुझे शक्ति के लिए
स्त्री का प्रतिरूप लगा !



Monday, October 19, 2015

क्यों ये आंसू ?

एक मां को सिसकते देख
सवाल उठा मन में 
क्यों ये आंसू ?
बच्चे की आस में 
या टूटते रिश्तों 
को दफ़न करते
दर्द को छुपाने 

के नाकाम प्रयास में !



एक किसान की कहानी

आज जब मैंने पूछा एक बालक से
क्या करते हैं पिताजी
उसने कुछ सकुचाते कहा
किसान हैं वो ,
उसके स्वर में दर्द जाहिर था
मैंने किया सवाल
क्यों इतनी उदासी बेटे ?
कहो न गर्व से किसान हैं मेरे पिता !
उसने मुझे देख कहा
आकर देखिये हमारे घर
सिर्फ कटाई होते समय
खाना होता है नसीब
बाकी पूरे साल तो हमें दो जून
खाना भी नसीब न होता
कैसे मैं गर्व से कहूं
मेरे पिता एक किसान हैं ?
इतने नादान बालक को समझ है                                                                            
वो दर्द क्यों हम न समझते !
सच ही तो है आज भी
किसान के घर में समृद्धि
क्या दीवाली और नव वर्ष
की सौगातें लाती हैं ?
कैसे हम गर्व से कृषि प्रधान
राष्ट्र का दम भरते हैं?

Harmony

Happened to visit a home
Full of live moments
Mostly uncommon
A close knit family
Thrilled, mesmerized
I observed
Rewinding old days
Tears welled up
Know not why
I got up with a heart
Full of contentment
Where is treasure ?
Found in such homes
Full of harmony and love
Rarity nowadays!!







Sunday, October 11, 2015

जीने की आस

जीते जी मरते हैं कितने ही अक्सर
मरते हैं जीने को लोग अक्सर 
जिंदगी रास नहीं आती सबको 
जिंदगी जीने की आस नहीं सबको 
लेकिन ज़िंदगी जीना ही तो है 
दूसरों की खातिर ही सही !
बदलते रिश्ते और जरूरतों 
के गुलाम हैं हम और 
जिंदगी हमें हर पड़ाव पर 
देती है सवाल  जीने का !
कैसे पार करें ये दरिया 
है यही मन की सिहरन 
है हिम्मत मन में
पार कर ही लेंगे हम 
है उम्मीद हमें खुद से 
जीने की खातिर 
कुछ तो कर दिखायें हम !
लोग आसमान को छू लेते हैं 
हम तो सिर्फ जीना चाहते हैं !!

Saturday, October 10, 2015

Return Me

Loaded with heaviness
I breathe slowly
Thinking of the plight
Whom I would cuddle ?
Why such a tragic happening
In such tender age
My hands groped in dark
For the familiar touch !
Oh God, why so unkind?
For what punishing me?
Just a chance to live
Give O Almighty!
Hear my woes and
Come to me !
Your child is at stake
Show your love!
Hold me close
Give me life back
Take my life
Return my angel again!
Baby opens eyes
Mother breathes last
Prayers are heard!!

Saturday, October 3, 2015

My Heart Throbs

Recalling departed beloved
A fulfillment fills mind
As the reality strikes
Mind becomes numb !
Losing loved ones is
Probably biggest blow
Shattering whole person
Making ourselves cripple !
Mind turning blank
Groping emotionally
Gaining inch by inch
Our lost self pains lot !
None knows the reality
I become a baby again
Searching true love
Lost in the oblivion !
Hoping to cuddle in
The warm hug once
To feel secure and safe
Facing life zestfully !