अक्सर ही तेरी आंखों में मैंने
सपनो की झलक देखी
मेरे दर्द , सुख , दुःख
सबका साझा लेती
मौन उपस्थिति मुझे
प्रेरणा और तृप्ति देती।
मेरे साथ होने का
एहसास ही मेरी
अभिव्यक्ति को जैसे
जीवन और सांस देती।
अपने जो हैं पराये
पराये जो हैं अपने
दोनों ही मुझे लगते
बिलकुल अपने !
हम ही तो ढूंढते हैं
अंधेरे में उजाले और
उजाले में भी अंधेरे
मन की लुकाछिपी
कौन समझ पाया !
शत शत नमन उन सबको
जिन्होंने मुझे अपना
No comments:
Post a Comment