Friday, October 23, 2015

अपनेपन का एहसास

अक्सर ही तेरी आंखों में मैंने
सपनो की झलक देखी 
मेरे दर्द , सुख , दुःख 
सबका साझा लेती 
मौन उपस्थिति मुझे 
प्रेरणा और तृप्ति देती। 
मेरे साथ होने का 
एहसास ही मेरी 
अभिव्यक्ति को जैसे 
जीवन और सांस देती। 
अपने जो हैं पराये 
पराये जो हैं अपने 
दोनों ही मुझे लगते 
बिलकुल अपने ! 
हम ही तो ढूंढते हैं 
अंधेरे में उजाले और 
उजाले में भी अंधेरे 
मन की लुकाछिपी 
कौन समझ पाया ! 
शत शत नमन उन सबको 
जिन्होंने मुझे अपना 
होने का एहसास तो दिलाया !






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