Thursday, October 22, 2015

विश्वास जगाने

ऐ जिंदगी मैं ढूंढता हो हताश तुझे
क्या है नहीं मेरी परवाह तुझे ?
तूने ही तो बख्शी ये जिंदगी मुझे
क्यों ये तड़प और बेरुखी दी मुझे ?
तरसता दिन रात चैन से जीने
क्या मेरी खता है जीना ?
तेरी उम्मीदों को मैंने समझा
क्यों तू न समझती मुझे बता ?
खुद के लिए नहीं मैं जीता ,
किसीके सूखे ओठों पर हंसी लाने ,
दो समय उनको खिलाने ,
कुछ पढा लिखाकर इंसान बनाने ,
जिंदगी के उनको भी अर्थ समझाने ,
शमशान सी जिंदगी मे बहार लाने ,
अपने जैसी उनको भी पहचान दिलाने ,
खाली सी जिंदगी में कई पड़ाव लाने ,
अपमान भरे जीवन में इज्जत लाने ,
अपने जीवन में मुस्कान लाने ,
औरों के दुःख भुलाने की औकात लाने ,
बंजर हुयी जिंदगी में खुशियां लाने ,
उनको भी हक़ है जीने का
ये विश्वास मृत मन में जगाने ,
बख्श मुझे और कुछ दिन
खुद को एक इंसान होने का
मतलब समझाने
ये सब कर दिखाने !!


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