दिल डर-डर कर है परेशान
जमाने भर से है गुलाम ,
औरों का किये है ख्याल
परेशान दिन रात
क्यों मैं सबसे इतना डरूं ?
किसका डर ? कौन देगा साथ ?
परेशानी में तो कोई नहीं आता ,
फिर क्यों ये डर ?
ये डर है या नाकामी मेरी
जो मुझे आगे बढ़ने न दे ?
सोचा तो पाया कोई भी मेरा नहीं
सिवा मेरी हिम्मत के
जो जीतूं तो सब हैं साथ
हारा तो खड़ा अकेला !!
फिर क्यों इतना लिहाज
किसका जो निंदा ही करें ?
समय पड़ने पर भागें दूर ?
इनसे तो भले हैं अनजान
जो प्यार से जवाब तो देते हैं !
मेरी कमजोरी है कि मैं खुद
को छोड़ भागता हूं
ढूंढता औरों को ,
एक डर मन में छुपाये
कहीं नाकाम न हो जाऊं !
नाकामी ही तो लाती है
कामयाबी पास
मैं भूला और नाकामी ने
मुझे अपना बनाया !
अब है पूरा विश्वास
अपनी सच्ची कामयाबी का !!
जमाने भर से है गुलाम ,
औरों का किये है ख्याल
परेशान दिन रात
क्यों मैं सबसे इतना डरूं ?
किसका डर ? कौन देगा साथ ?
परेशानी में तो कोई नहीं आता ,
फिर क्यों ये डर ?
ये डर है या नाकामी मेरी
जो मुझे आगे बढ़ने न दे ?
सोचा तो पाया कोई भी मेरा नहीं
सिवा मेरी हिम्मत के
जो जीतूं तो सब हैं साथ
हारा तो खड़ा अकेला !!
फिर क्यों इतना लिहाज
किसका जो निंदा ही करें ?
समय पड़ने पर भागें दूर ?
इनसे तो भले हैं अनजान
जो प्यार से जवाब तो देते हैं !
मेरी कमजोरी है कि मैं खुद
को छोड़ भागता हूं
ढूंढता औरों को ,
एक डर मन में छुपाये
कहीं नाकाम न हो जाऊं !
नाकामी ही तो लाती है
कामयाबी पास
मैं भूला और नाकामी ने
मुझे अपना बनाया !
अब है पूरा विश्वास
अपनी सच्ची कामयाबी का !!