जब भी दिल धड़कता है ,
एक आहट सी सुनती हूं करीब ,
मैं अपने एकांत मन में
कुछ ढूंढती अपने लिए ,
जो सिर्फ मेरा हो !
क्या रखा है मेरे लिए ,
कुछ भी तो नहीं !
मेरा तो कुछ है ही नहीं !
सोच दुखी बैठी रही ,
मेरी उलझन देख
मेरे हमराज ने कहा ,
ये सब तुम्हारे बिना
कुछ भी नहीं !
मैंने नयी अनुभूति से देखा ,
मैं , बच्चे , घर सब ही तो
अधूरे हैं तुम्हारे बिना
फिर क्यों ये उलझन ?
मैंने एक क्षण में सब
फिर से बदलते देखा ,
वही पुरानी बातें मुझे
बिलकुल बदली सी लगीं
बदला था मेरा मन !!
एक आहट सी सुनती हूं करीब ,
मैं अपने एकांत मन में
कुछ ढूंढती अपने लिए ,
जो सिर्फ मेरा हो !
क्या रखा है मेरे लिए ,
कुछ भी तो नहीं !
मेरा तो कुछ है ही नहीं !
सोच दुखी बैठी रही ,
मेरी उलझन देख
मेरे हमराज ने कहा ,
ये सब तुम्हारे बिना
कुछ भी नहीं !
मैंने नयी अनुभूति से देखा ,
मैं , बच्चे , घर सब ही तो
अधूरे हैं तुम्हारे बिना
फिर क्यों ये उलझन ?
मैंने एक क्षण में सब
फिर से बदलते देखा ,
वही पुरानी बातें मुझे
बिलकुल बदली सी लगीं
बदला था मेरा मन !!
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