Monday, August 3, 2015

मुस्कान

एक हल्की सी मुस्कुराहट
और उसमे छुपे कितने ही अर्थ 
जो सिर्फ हम ही जानें,
लेकिन उस एक मुस्कराहट में 
छुपे दर्द शायद ही कोई जानें!!
बचपन से आज तक मैंने 
कभी उस मुस्कराहट में जरा सा भी 
फर्क नहीं देखा,
अक्सर ये सोचूं कि कैसे ये 
मन को चुराने वाली मुस्कान 
हमेशा ही होठों पर है 
विराजमान?
आज जिंदगी के इस मोड़ पर 
जब भी याद करती हूं तो
विस्मय से भर जाता है मन!! 
कितने ही दर्दों को खुद में 
छुपाये सिर्फ हमारे लिए 
सदा ही मुस्कुराती रहतीं थीं,
शायद इसी लिए हमें 
उनकी याद भी आती है,
और कई सीखें भी कि 
जिंदगी के उतार-चढ़ाव 
तो सिर्फ एक मौका है 
खुद की क्षमताओं को 
पहचानने का!!
डटे रहो अपनी मुस्कान से 
औरों का भी हौसला बुलंद कर,  
एक आह्वान देने
वाली इस प्यारी सी मुस्कान 
को अपने वजूद से अलग न कर, 
ताकि हर एक मुश्किल में 
हम तुझे देख अपने को 
सक्षम महसूस का सकें, 
और हर कामयाबी में 
तेरी याद कर खुद 
पर नाज़ कर सके मां!!


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