Monday, August 3, 2015

सच्ची दोस्ती

आज मेरी दोस्त याद आयी
जिसने कभी न कुछ मांगा सिवा 
प्यार और समझ के। 
आज इस रंग बदलती दुनिया में 
कहां मिलते हैं दोस्त 
जो दिल की समझें ,
जाने मुझे ,
न मेरी हैसियत। 
पैसों भरा जेब न देखें 
देखें मेरा मन !
भगवान ने दी और छीन ली
मुझसे मेरी खुशी।
सुख दुःख बांटती एक दोस्त
मुझसे छिन गयी जिसकी
बस यादें ही हैं ,
यादों में ही ढूंढती हूं सुकून
शायद फिर हम मिलें और
बांटें अपने गम और ख़ुशी
मेरे इंतज़ार में वो भी
होगी मुझ सी आतुर
दोस्ती होती ही ऐसी है !!
नसीब होती है जिनको दोस्ती
वाकई वे खुशनसीब होते हैं
सच्ची दोस्ती है जो
हमारे गमों को भुला दे और
दुनिया को हमारे
कदमों में ला दे।
खुशियों की सौगात से
हमारी जिंदगी भर दे ,
न कोई भेद न कोई गम
बस हमारी दुनिया हो
और हमारी दोस्ती।


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