Monday, August 3, 2015

प्यारी सी दुनिया

यूं ही बस तकते-तकते आसमान ,
मन कहीं राह भूल जा छिपा,
उन लमहों में , जहां न कोई गम थे 
और न कोई शिकवे  
छोटी-छोटी ख्वाहिशों की
प्यारी सी दुनिया 
न्यारी सी दुनिया जिसमे 
सिर्फ खुशियां ही थीं  
भाई और बहनो की एक पलटन 
सदा तैयार खेलने और झगडने को 
हरदम तत्पर, अपने झगड़ों को
भूलने और खिलखिलाने को 
अब कहां है वो चेहरे और फुर्सत 
सिर्फ मन में है यादों का एक 
पिटारा जिसमे अक्सर ही मन 
ढूंढ लाता है यादों के 
बेशकीमती क्षण और
बरबस ही एक नमीं भी 
जो देती है एक सुखद सी 
अनुभूति एक मीठा सा दर्द 
एक नयी ऊर्जा का संचार 
जिसको शब्द नहीं मन ही 
जानता है ,
एक सुखद अनुभूति
बरबस ही मन को भिगो गयीं
प्यार के छोटे से समंदर की लहरें। 

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