मेरे चेहरे पर आंखें टिका
जाने क्या सोच रही!!
आंखों में चमक नहीं
होठों पर मुस्कान नहीं
आंखों में जान नहीं !
मुझे क्यों ये खींचे अपनी ओर
मुझसे क्या रिश्ता है बनता
क्यों मुझे एक बंधन खींचे ?
दूर दूर तक कोई नहीं
ये अकेली खड़ी किसलिए ?
मेरे पांव थम गए ,
आंखें नम हों चलीं
थामें उसके छोटे हाथ
खींचा उसको अपने पास
बैठी रही खामोश
उसे ज़रा भी न था होश
कौन है ये जो मुझे बुलाये ?
क्या हुआ मुझे न जाने
चल पड़ा मैं उठाये
तेज कदम जैसे कोई
रोक लेगा मुझे
घर पहुंचा , देखा उसे
सूखे होंठ , आंख नम ,
भूखी थी निगाहें, प्यासा मन
आज मुझे
भूले बिसरे दिन
याद हो चले जब
याद हो चले जब
मैं निकला था
किसे खोजने न जाने!
गुम गया इस दुनिया में
अपनी पहचान बनाने ,
आज इन आंखों में
खुद को देखा शायद !!
दिल में उमड रहा प्यार
अपने बचपन को न सही
इसे संवार लूं शायद !!
मुझे एक बेटी मिली
दुःख सुख में साझा लेने
मेरी अपनी दुनिया
ममता से परिपूर्ण बनी !!
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